बजट सत्र कल से, भाजपा आज बनाएगी सरकार को घेरने की रणनीति

 


हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सोमवार शाम को विपक्ष सुक्खू सरकार को घेरने की रणनीति बनाएगा। इसके लिए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विलीज पार्क में भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई है। पहले दिन ही सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं।



भाजपा प्रश्नकाल में ही काम रोको प्रस्ताव पर अड़ सकती है। बजट सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू बतौर वित्त मंत्री 17 मार्च को अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगे। 14 मार्च से प्रदेश की 14वीं विधानसभा का दूसरा सत्र शुरू होने जा रहा है। मंगलवार को 11:00 बजे सत्र की शुरुआत पूर्व मंत्री मनसा राम के देहांत पर शोकोद्गार से होगी। इसके बाद प्रश्नकाल होगा। प्रश्नकाल के शुरू होते ही विपक्ष सरकार को घेरने के लिए सारा काम रोककर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगने की रणनीति बना सकता है।


हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों संस्थानों को डिनोटिफाई करने के मसले पर यह चर्चा मांगी जा सकती है। प्रश्नकाल चला तो इसमें भी संस्थानों को डिनोटिफाई करने, विभिन्न विभागों में रिक्तियों को न भरने, सड़कों की स्थिति खराब होेने जैसे कई विषयों पर विधायक मंत्रियों से सवाल पूछेंगे। इस पर भी विपक्ष आक्रामक रुख में नजर आ सकता है।

आर्थिक संकट से जूझने पर इस बार भी घाटे का बजट पेश कर सकते हैं सुक्खू
आर्थिक संकट से जूझने पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू इस बार भी घाटे का बजट पेश कर सकते हैं। बजट में राजस्व और राजकोषीय घाटा कितना होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। पिछली सरकारें भी इस घाटे से नहीं उबर पाई हैं। इसकी वजह हिमाचल प्रदेश में आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया होने की स्थिति है।

कर्मचारियों, पेंशनरों, कर्ज, ब्याज आदि की अदायगी पर ही सरकार के कुल बजट का करीब 50 फीसदी बजट खर्च हो रहा है। अन्य खर्चों को जोड़ा जाए तो विकास योजनाओं के लिए महज करीब 40 फीसदी बजट ही बचा रह पाता है। इस बार के बजट में सीएम सुक्खू बतौर वित्त मंत्री किस तरह से बजट प्रबंधन करते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

कई योजनाओं में नए सेस या शुल्क लगा सकती है सरकार
नए बजट में घाटे को पूरा करने के लिए सुक्खू सरकार कई योजनाओं में नए सेस या शुल्क लगा सकती है। इसके अलावा कई योजनाओं के बजट में भी कटौती कर सकती है। मुख्यमंत्री सुक्खू प्रदेश में कड़े फैसले लेने की बात कह चुके हैं। यह कड़े फैसले इस बजट में भी नजर आ सकते हैं।
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