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हिमाचल प्रदेश में दसवीं में सौ फीसदी अंक लेने वाले हिमाचली ग्रामीण डाक सेवक बन गए हैं। ये घर-घर जाकर चिट्ठी-पत्र बांटेंगे। प्रदेश भर में इस पद के लिए 603 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। ये सभी संबंधित मंडलों में 21 मार्च से पहले दस्तावेजों के साथ रिपोर्ट करेंगे। चंबा, सोलन समेत अधिकतर जिलों में उच्चतम सौ फीसदी अंकों को लेकर मेरिट में आए अभ्यर्थियों का चयन किया गया है।



देश भर में इस पद के लिए 40,889 ग्राम डाक सेवकों का चयन किया गया है। हिमाचल प्रदेश से 603 चयनित किए गए हैं। इनमें सामान्य वर्ग से 261, ओबीसी से 130, अनुसूचित जाति से 126, एसटी से 25, ईडब्ल्यूएस से 57, पीडब्ल्यूडीए से एक, पीडब्ल्यूडीबी से एक और पीडब्ल्यूडीसी से दो अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं।


अन्य राज्यों में पंजाब से 766, हरियाणा से 354, जम्मू-कश्मीर से 300 और दिल्ली से 46 का चयन किया गया है। इनमें जिन स्कूल शिक्षा बोर्डों में यह ग्रेड प्रणाली लागू है, उनमें 9.5 के गुणक फैक्टर पर 100 फीसदी अंकों की गणना की गई है। ग्रामीण डाक सेवकों की बीपीएम श्रेणी के लिए यह मानदेय 12,000 से लेकर 29,380 रुपये रहेगा, जबकि एबीपीएम एवं डाक सेवक के लिए यह 10,000 से 24,470 रुपये मासिक होगा।

डाक सेवकों के पदों के लिए आयु सीमा न्यूनतम 18 और अधिकतम 40 साल रखी गई थी। दसवीं की परीक्षा में इसके लिए गणित और अंग्रेजी विषयों में परीक्षा को उत्तीर्ण करना अनिवार्य माना गया। आवेदकों के लिए स्थानीय स्तर पर बोली जाने वाली भाषाओं की जानकारी भी अनिवार्य की गई थी।

 


हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सोमवार शाम को विपक्ष सुक्खू सरकार को घेरने की रणनीति बनाएगा। इसके लिए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विलीज पार्क में भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई है। पहले दिन ही सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं।



भाजपा प्रश्नकाल में ही काम रोको प्रस्ताव पर अड़ सकती है। बजट सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू बतौर वित्त मंत्री 17 मार्च को अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगे। 14 मार्च से प्रदेश की 14वीं विधानसभा का दूसरा सत्र शुरू होने जा रहा है। मंगलवार को 11:00 बजे सत्र की शुरुआत पूर्व मंत्री मनसा राम के देहांत पर शोकोद्गार से होगी। इसके बाद प्रश्नकाल होगा। प्रश्नकाल के शुरू होते ही विपक्ष सरकार को घेरने के लिए सारा काम रोककर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगने की रणनीति बना सकता है।


हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों संस्थानों को डिनोटिफाई करने के मसले पर यह चर्चा मांगी जा सकती है। प्रश्नकाल चला तो इसमें भी संस्थानों को डिनोटिफाई करने, विभिन्न विभागों में रिक्तियों को न भरने, सड़कों की स्थिति खराब होेने जैसे कई विषयों पर विधायक मंत्रियों से सवाल पूछेंगे। इस पर भी विपक्ष आक्रामक रुख में नजर आ सकता है।

आर्थिक संकट से जूझने पर इस बार भी घाटे का बजट पेश कर सकते हैं सुक्खू
आर्थिक संकट से जूझने पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू इस बार भी घाटे का बजट पेश कर सकते हैं। बजट में राजस्व और राजकोषीय घाटा कितना होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। पिछली सरकारें भी इस घाटे से नहीं उबर पाई हैं। इसकी वजह हिमाचल प्रदेश में आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया होने की स्थिति है।

कर्मचारियों, पेंशनरों, कर्ज, ब्याज आदि की अदायगी पर ही सरकार के कुल बजट का करीब 50 फीसदी बजट खर्च हो रहा है। अन्य खर्चों को जोड़ा जाए तो विकास योजनाओं के लिए महज करीब 40 फीसदी बजट ही बचा रह पाता है। इस बार के बजट में सीएम सुक्खू बतौर वित्त मंत्री किस तरह से बजट प्रबंधन करते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

कई योजनाओं में नए सेस या शुल्क लगा सकती है सरकार
नए बजट में घाटे को पूरा करने के लिए सुक्खू सरकार कई योजनाओं में नए सेस या शुल्क लगा सकती है। इसके अलावा कई योजनाओं के बजट में भी कटौती कर सकती है। मुख्यमंत्री सुक्खू प्रदेश में कड़े फैसले लेने की बात कह चुके हैं। यह कड़े फैसले इस बजट में भी नजर आ सकते हैं।


चंबा जिले की ग्राम पंचायत दियोला में छत से नीचे गिरकर घायल हुए युवक को दो किलोमीटर पालकी में उठाकर सड़क तक पहुंचाना पड़ा। डेढ़ माह से गांव को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग बंद पड़ा हुआ है। इससे ग्रामीणों को पैदल ही आवाजाही करनी पड़ रही है। ऐसे में जब युवक घर की छत से नीचे गिरने से घायल हुआ तो उसे परिजन और ग्रामीण पालकी में उठाकर अस्पताल की तरफ निकल पड़े। जेरा गांव से शॉर्ट कट रास्ते से करीब दो किलोमीटर पालकी में उठाकर उसे परियोजना की सड़क तक पहुंचाया गया। यहां से आगे घायल को निजी वाहन के जरिये उपचार के लिए सिविल अस्पताल तीसा पहुंचाया गया। ग्रामीणों हंसराज, कमल कुमार, चेत राम, मनोज कुमार, सुनील कुमार और टेक चंद ने बताया कि दियोला की बग्गा-कुठेड़-कुंडोलू सड़क पर डेढ़ माह से यातायात बंद पड़ा है।

इसकी वजह से ग्रामीणों को आवाजाही करने में दिक्कत हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने में हो रही है। ऐसे में लोगों को पालकी या पीठ पर उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है। सड़क का निर्माण पंचायत ने करवाया है। इसके चलते लोक निर्माण विभाग सड़क की बहाली को लेकर जवाबदेह नहीं है। जबकि पंचायत की तरफ से मार्ग को बहाल नहीं करवाया जा रहा है। इसके लिए लोगों ने स्थानीय प्रशासन और पंचायत से मांग की है कि सड़क को तुरंत बहाल करवाया जाए। सड़क बंद होने से बग्गा, जेरा, दिलेला, कुठेड़, चोहरी, मलोण, डुघयाडा़, कुंडोलू सहित अन्य गांवों की आबादी प्रभावित हो रही है। दियोला पंचायत प्रधान पदमो देवी ने बताया कि बंद मार्ग को बहाल करवाने के लिए जल्द व्यवस्था करवाई जाएगी।


चंबा, 17 फरवरी : उपायुक्त चंबा डीसी राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला रेडक्रॉस सोसायटी चंबा द्वारा तहसील चुवाडी के गाँव घनोटा में एक दिवसीय चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के दौरान मोबाइल वैन में करीब 85 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण और 55 लोगों के रक्त की जांच की गई। इसके अतिरिक्त भलेई माता मंदिर के पास धार किलोड में एक दिवसीय शिविर के आयोजन के दौरान 48 व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण और 50 लोगों के रक्त की जांच की गई। इन शिविरों का आयोजन हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग और रेड क्रॉस चंबा के सयुंक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।


जिले की 30 प्राथमिक पाठशालाएं बिना अध्यापकों के चल रही हैं। इसके चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। प्राथमिक पाठशाला की पढ़ाई शिक्षा की नींव मानी जाती है लेकिन बिना अध्यापकों के चल रहे स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की यह नींव कमजोर हो रही है। ऐसे में विद्यार्थी भविष्य में उच्च शिक्षा में भी पिछड़ सकते हैं। प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से इन स्कूलों में व्यवस्था बनाए रखने के लिए अन्य स्कूलों से शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए हैं लेकिन अभी तक स्थायी अध्यापकों की तैनाती नहीं हो पाई है। जानकारी के मुताबिक पिछले तीन साल से स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। इससे सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हुए हैं। विभाग ने इन स्कूलों के नाम भी मांगें हैं। गौरतलब है कि एक तरफ जहां प्रदेश की सरकारें सत्ता में आने के बाद नौनिहालों को बेहतरीन शिक्षा देने के दावे करती हैं तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में कोई उचित कदम नहीं उठाए जाते। यही कारण है पिछले कई सालों से जिले के 30 स्कूलों में अध्यापक प्रतिनियुक्ति पर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इसका बोझ अध्यापकों पर भी पड़ रहा है क्योंकि अध्यापक को जिस स्कूल से प्रतिनियुक्ति से दूसरे स्कूल में भेजा जाता है उसे दोनों स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाना पड़ता है। ऐसे अध्यापक भी मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में सबसे ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से अध्यापकों की स्कूलों में तैनाती करने के बारे में प्रयास नहीं किए गए हैं। जिला शिक्षा उप अधिकारी उमाकांत आनंद ने बताया कि जिले के 30 सरकारी स्कूलों में स्थायी अध्यापक नहीं हैं। इन स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई है जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो। अध्यापकों की नियुक्ति के लिए सरकार से मांग की गई है।

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