चम्बा: जिले के 30 प्राथमिक स्कूलों में स्थायी शिक्षक नहीं


जिले की 30 प्राथमिक पाठशालाएं बिना अध्यापकों के चल रही हैं। इसके चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। प्राथमिक पाठशाला की पढ़ाई शिक्षा की नींव मानी जाती है लेकिन बिना अध्यापकों के चल रहे स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की यह नींव कमजोर हो रही है। ऐसे में विद्यार्थी भविष्य में उच्च शिक्षा में भी पिछड़ सकते हैं। प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से इन स्कूलों में व्यवस्था बनाए रखने के लिए अन्य स्कूलों से शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए हैं लेकिन अभी तक स्थायी अध्यापकों की तैनाती नहीं हो पाई है। जानकारी के मुताबिक पिछले तीन साल से स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। इससे सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हुए हैं। विभाग ने इन स्कूलों के नाम भी मांगें हैं। गौरतलब है कि एक तरफ जहां प्रदेश की सरकारें सत्ता में आने के बाद नौनिहालों को बेहतरीन शिक्षा देने के दावे करती हैं तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में कोई उचित कदम नहीं उठाए जाते। यही कारण है पिछले कई सालों से जिले के 30 स्कूलों में अध्यापक प्रतिनियुक्ति पर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इसका बोझ अध्यापकों पर भी पड़ रहा है क्योंकि अध्यापक को जिस स्कूल से प्रतिनियुक्ति से दूसरे स्कूल में भेजा जाता है उसे दोनों स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाना पड़ता है। ऐसे अध्यापक भी मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में सबसे ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से अध्यापकों की स्कूलों में तैनाती करने के बारे में प्रयास नहीं किए गए हैं। जिला शिक्षा उप अधिकारी उमाकांत आनंद ने बताया कि जिले के 30 सरकारी स्कूलों में स्थायी अध्यापक नहीं हैं। इन स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई है जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो। अध्यापकों की नियुक्ति के लिए सरकार से मांग की गई है।

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